ब्लैक फ्राइडे 2025: रिकॉर्ड ऑनलाइन खर्च, बढ़ते साइबर घोटाले और एआई पर भरोसे का संकट

ब्लैक फ्राइडे 2025 में ऑनलाइन शॉपिंग ने नया रिकॉर्ड बना दिया, लेकिन इसी रिकॉर्ड खर्च ने साइबर घोटालों और ऑनलाइन ठगी के लिए भी सुनहरा मौका तैयार कर दिया। ऑनलाइन पेमेंट, ऑफ़र और एआई‑आधारित शॉपिंग टूल्स जितने ज़्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं, उतना ही ज़्यादा सवाल विश्वास, सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी पर उठ रहा है।

रिकॉर्ड ऑनलाइन खर्च, लेकिन पहले से ज्यादा खतरा
इस साल ब्लैक फ्राइडे पर केवल ऑनलाइन खरीदी ही अरबों डॉलर के आंकड़े पार कर चुकी है, जो पिछले साल से काफ़ी ज़्यादा है। इलेक्ट्रॉनिक्स, गेमिंग कंसोल, होम अप्लायंसेज़ और “डोरबस्टर” डील्स ने लोगों को दिन‑भर स्क्रीन से चिपकाए रखा।
लेकिन इतना बड़ा ऑनलाइन ट्रैफिक मतलब:
- ज़्यादा लॉगइन, ज़्यादा कार्ड डिटेल्स, ज़्यादा “अभी खरीदें” वाले तेज़ फ़ैसले
- और उसी के बराबर ज़्यादा फिशिंग ईमेल, नकली वेबसाइटें और पेमेंट फ्रॉड के मौके
ब्लैक फ्राइडे वीकेंड साइबर अपराधियों के लिए साल का सबसे फायदेमंद समय बन चुका है, क्योंकि भीड़ और जल्दी के बीच लोग सामान्य से कम सावधान रहते हैं।
एआई: खरीदारों की मदद भी, स्कैमर्स का हथियार भी
रिटेल प्लेटफ़ॉर्म अब एआई‑बेस्ड रिकमेंडेशन, चैटबॉट और ऑटो प्राइस‑कम्पेरिजन टूल्स से यूज़र को सही प्रोडक्ट और ऑफ़र दिखा रहे हैं। इससे यूज़र को पर्सनलाइज्ड डील, फास्ट सर्च और बेहतर डिस्काउंट मिल जाते हैं।
लेकिन दूसरी तरफ़:
- स्कैमर एआई की मदद से असली जैसी लगने वाली नकली वेबसाइटें, बैनर और एड बना रहे हैं
- एआई‑जनरेटेड ईमेल और मैसेज अब इतनी साफ़ और प्राकृतिक भाषा में होते हैं कि पहचानना मुश्किल होता जा रहा है
- लोग समझ नहीं पाते कि कौन सा “ऑफ़र” असली ब्रांड से है और कौन सा किसी घोटालेबाज़ के सर्वर से
यानी वही टेक्नॉलॉजी जो शॉपिंग आसान बना रही है, वह ठगी को भी प्रोफेशनल और स्केलेबल बना रही है।
एआई बैकलैश: क्लासरूम से लेकर ऑनलाइन ट्रस्ट तक
शिक्षा क्षेत्र में एआई को लेकर सबसे ज़्यादा बैकलैश दिख रहा है। कई स्कूल और यूनिवर्सिटी:
- शिकायत कर रहे हैं कि स्टूडेंट्स असाइनमेंट और एग्ज़ाम में एआई का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं
- ऑनलाइन होमवर्क को वापस क्लासरूम में, निगरानी वाले या पेन‑पेपर मोड की तरफ़ शिफ्ट कर रहे हैं
कुछ संस्थानों ने चीटिंग पकड़ने के लिए खुद एआई‑आधारित डिटेक्शन टूल लगाए, लेकिन कई मामलों में निर्दोष छात्रों को भी गलत तरीके से “चीटर” टैग कर दिया गया। इससे:
- एआई सिस्टम्स की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर गहरा सवाल उठ रहा है
- लोग सोचने लगे हैं कि अगर एआई शिक्षा में ऐसे गलत फैसले ले सकता है, तो फाइनेंस, ई‑कॉमर्स या फ्रॉड डिटेक्शन में उस पर आंख मूंदकर भरोसा करना कितना सही है
यह बैकलैश अंत में ऑनलाइन शॉपिंग और साइबर सिक्योरिटी पर भी असर डालता है, क्योंकि भरोसा ही इंटरनेट इकोसिस्टम की बुनियाद है।
ब्लैक फ्राइडे पर चलने वाले आम ऑनलाइन स्कैम
आप अपने ब्लॉग में इन मुख्य पैटर्न को सब‑हेडिंग या बुलेट पॉइंट के रूप में रख सकते हैं:
1. नकली ई‑कॉमर्स वेबसाइट और “90% ऑफ” ऑफ़र
- ओरिजिनल साइट जैसा नाम और डिज़ाइन, लेकिन डोमेन थोड़ा बदला हुआ (जैसे एक अक्षर बदला, या extra शब्द जोड़ दिया)
- बेहद सस्ते ऑफ़र: 70–90% तक की छूट दिखाकर कार्ड डिटेल और पेमेंट ले लेना
- प्रोडक्ट न पहुंचना, या फिर सस्ती नकली चीज़ भेजना, और पेमेंट डेटा बाद में दूसरी साइटों पर बेच देना
2. फिशिंग ईमेल, एसएमएस और फ़ेक डिलीवरी मैसेज
- “आपका ऑर्डर होल्ड पर है, अभी वेरिफाई करें”, “पेमेंट फेल्ड, दोबारा पेमेंट करें” जैसे मैसेज
- लिंक पर क्लिक करते ही:
- नकली लॉगइन पेज जहां आपके ईमेल/अकाउंट पासवर्ड चुराए जाते हैं
- या मालवेयर डाउनलोड, जो आपके डिवाइस और बैंकिंग ऐप्स तक पहुंच बनाने की कोशिश करता है
3. डार्क पैटर्न और फेक डिस्काउंट (कानूनी, लेकिन भ्रामक)
- कुछ असली प्लेटफॉर्म भी पहले कीमत बढ़ाकर बाद में “बड़ा डिस्काउंट” दिखाते हैं
- काउंटडाउन टाइमर जो बार‑बार रीसेट होता है, प्री‑टिक्ड चेकबॉक्स, जबरन ऐड‑ऑन सर्विसेज – ताकि यूज़र जल्दबाज़ी में मना न कर पाए
- यूज़र को लगता है कि भारी छूट मिल रही है, जबकि असल में कीमत साधारण या कभी‑कभी ज़्यादा ही होती है
सुरक्षित ऑनलाइन शॉपिंग के लिए ज़रूरी साइबर‑सेफ्टी टिप्स
अब ब्लॉग का सबसे उपयोगी हिस्सा: ऐसे पॉइंट जो रीडर तुरंत अपना सके।
1. हमेशा वेबसाइट की पहचान पक्का करें
- लिंक पर क्लिक करने की बजाय खुद ब्राउज़र में साइट का एड्रेस टाइप करें या ऑफिशियल ऐप से जाएं
- डोमेन ध्यान से पढ़ें: छोटे स्पेलिंग बदलाव, extra शब्द, या अजीब एक्सटेंशन (जैसे .top, .xyz) पर शक करें
- नए या अनजान साइट के लिए “साइट नेम + scam / review / complaint” सर्च करके लोगों का अनुभव देखें
2. “बहुत सस्ता” = अलर्ट मोड
- पॉपुलर ब्रांड पर 80–90% ऑफ आमतौर पर वास्तविक नहीं होता, खासकर नए या संदिग्ध साइट पर
- कम से कम दो भरोसेमंद वेबसाइटों पर वही प्रोडक्ट चेक करें – अगर अंतर बहुत ज़्यादा है, तो शायद कुछ गड़बड़ है
3. पेमेंट सुरक्षा का ध्यान रखें
- पब्लिक वाई‑फाई (मॉल, कैफे, स्टेशन) पर बड़े पेमेंट या कार्ड डिटेल न भरें
- क्रेडिट कार्ड, UPI या भरोसेमंद पेमेंट गेटवे ज्यादा सुरक्षित हैं; डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर, अजीब वॉलेट या केवल QR‑पेमेंट पर सतर्क रहें
- जिस साइट पर पेमेंट कर रहे हैं, URL में https और ब्राउज़र में लॉक आइकन जरूर देखें
4. अकाउंट सिक्योरिटी: पासवर्ड + 2FA
- अपने ईमेल, पेमेंट ऐप, और मेन शॉपिंग अकाउंट पर टू‑फैक्टर ऑथेन्टिकेशन (OTP, Authenticator ऐप) ऑन करें
- हर साइट के लिए अलग और मज़बूत पासवर्ड रखें; पासवर्ड मैनेजर का इस्तेमाल करें ताकि एक अकाउंट लीक होने से बाकी सब न टूटें
5. स्टेटमेंट और नोटिफिकेशन पर नज़र रखें
- ब्लैक फ्राइडे और उसके बाद वाले हफ्ते में अपने बैंक/कार्ड स्टेटमेंट और SMS अलर्ट ध्यान से देखें
- छोटे‑छोटे अनजान ट्रांज़ैक्शन (जैसे कुछ रुपए या कुछ डॉलर) “टेस्ट पेमेंट” हो सकते हैं – तुरंत बैंक को रिपोर्ट करें
- अगर आपको लगे कि आपने नकली साइट पर पेमेंट कर दी या किसी लिंक पर क्लिक कर दिया:
- तुरंत पासवर्ड बदलें
- बैंक से कार्ड ब्लॉक/रिप्लेस और चार्जबैक/डिस्प्यूट की रिक्वेस्ट करें
- असली ब्रांड और संबंधित साइबर सेल/कंज़्यूमर हेल्पलाइन को शिकायत करें
एक वीकेंड से आगे की कहानी
ब्लैक फ्राइडे 2025 दिखाता है कि टेक्नॉलॉजी डबल‑एज्ड स्वॉर्ड है:
- एआई और डिजिटल पेमेंट हमें तेज़, पर्सनलाइज्ड और कम दाम में शॉपिंग करने देते हैं
- उसी के साथ एआई जेनरेटेड स्कैम, नकली वेबसाइट और ऑटोमेटेड फिशिंग भी नए लेवल पर पहुंच गए हैं
दूसरी ओर, स्कूल‑कॉलेज में एआई‑बैकलैश यह बताता है कि समाज अभी भी यह तय कर रहा है कि “स्मार्ट” टेक्नॉलॉजी की लिमिट कहां तक होनी चाहिए। भरोसा (ट्रस्ट) ही असली करेंसी है – चाहे बात मार्क्स की हो या पैसे की।
आपके पाठकों के लिए संदेश साफ़ है:
- डिजिटल ऑफ़र का पूरा फायदा उठाइए,
- लेकिन हर लिंक, हर डिस्काउंट और हर “अभी खरीदें” बटन को शक की नज़र से देखिए।
