भारत और विश्व की भू-राजनीति: 2025 की नई चुनौतियाँ और अवसर
2025 में भारत और विश्व भू-राजनीति के महत्वपूर्ण बदलावों का सामना कर रहे हैं। अमेरिका, चीन, रूस और यूरोपीय संघ जैसी शक्तियों के बीच तनाव और नई साझेदारियों ने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को नई दिशा दी है।

नए गठबंधन और रणनीतिक साझेदारी
चीन के नेतृत्व वाले ब्रिक्स देशों ने पश्चिमी वित्तीय प्रणाली के विकल्प तलाशने के लिए अपने सहयोग को मजबूत किया है। भारत, जो वैश्विक भू-राजनीति में एक बहु-संरेखण नीति अपना रहा है, अमेरिका और यूरोप के साथ नए व्यापार समझौतों के अलावा ब्रिक्स और अन्य क्षेत्रीय गठबंधनों में भी भूमिका निभा रहा है।
भारत-चीन सीमा तनाव और नई रणनीति
भारत और चीन के बीच सीमा पर लगातार तनाव बना हुआ है। गलवान संघर्ष के बाद भारत ने चीन के साथ संबंधों को धीरे-धीरे सुधारने का प्रयास किया है, लेकिन यारलुंग जांग्बो पर चीन का बांध निर्माण भारत के लिए नई सुरक्षा चिंता बन गया है।
रूस के साथ नई साझेदारी
रूसी राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा ने दोनों देशों के बीच हथियार और तेल के कारोबार को नए आयाम दिए हैं। भारत अपनी ऊर्जा आपूर्ति और सैन्य निर्भरता को विविधता देने के लिए रूस के साथ नई साझेदारी बढ़ा रहा है, जबकि यूक्रेन युद्ध और वैश्विक दबाव के बीच यह रणनीति और भी जटिल हो गई है।
अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में बदलाव
कोविड-19 के बाद बहुराष्ट्रीय संस्थाओं जैसे यूएन और डब्ल्यूटीओ की भूमिका कमजोर हुई है। इसके कारण देशों को अपनी रणनीतियों में अधिक स्वायत्तता अपनानी पड़ रही है। भारत ने अपनी विदेश नीति में और अधिक आत्मनिर्भरता और साझेदारियों को बढ़ाया है।
अंतरिक्ष और नई तकनीकी प्रतिस्पर्धा
2025 में अंतरिक्ष भी भू-राजनीति का नया क्षेत्र बन गया है। भारत-अमेरिका के बीच अंतरिक्ष यात्रा सहयोग, गगनयान मिशन और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन जैसी घटनाएँ भारत की भू-राजनीतिक छवि को और मजबूत कर रही हैं।
निष्कर्ष
2025 में भारत ने न केवल अपनी वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति मजबूत की है, बल्कि चुनौतियों का सामना करते हुए नए अवसरों को भी बनाया है। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में विविधीकरण, स्वायत्तता और रणनीतिक चालों का मिश्रण भारत की वर्तमान कूटनीति की पहचान बन गया है
