भारत–रूस नई दिशा: पुतिन के दिल्ली दौरे से बदलता वैश्विक समीकरण

Vladimir Putin का भारत दौरा: विस्तार से मुलाकात, समझौते और भविष्य पर प्रभाव

परिचय

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत आगमन अभी हाल की एक बेहद महत्वपूर्ण कूटनीतिक यात्रा में से एक है। उन्होंने 4–5 दिसंबर 2025 को भारत की राजधानी दिल्ली में दो दिवसीय औपचारिक दौरा किया, जो कि Narendra Modi द्वारा दिए गए आमंत्रण पर हुआ था। ([Reuters]) इस यात्रा का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि यह यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद पुतिन की भारत में पहली यात्रा है।
([AP News])

यात्रा की रूपरेखा और मुलाकातें

* पुतिन का स्वागत प्रधानमंत्री मोदी ने एयरपोर्ट पर व्यक्तिगत रूप से किया — यह एक विशिष्ट कूटनीतिक संकेत माना गया। ([Reuters])
* दौरे के दौरान मोदी-पुतिन की एक-से-एक (वन-टू-वन) बैठक हुई, जिसमें 10 अंतर-सरकारी और 15 वाणिज्यिक समझौतों पर चर्चा की गई। ([Navbharat Times])
* बैठक का एजेंडा व्यापक था — इसमें रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष, प्रौद्योगिकी, लौकर प्रवास (labour mobility), व्यापार, कृषि और लोगों के बीच संपर्क जैसे क्षेत्र शामिल थे। ([India Today])
* इस बीच दोनों देश वैश्विक मंचों पर अपने रणनीतिक दृष्टिकोण साझा किए — जैसे कि BRICS, SCO, संयुक्त राष्ट्र आदि में। ([India Today])

प्रमुख समझौते और क्षेत्र-विशेष चर्चा

* रक्षा क्षेत्र में, भारत-रूस के बीच पहले से चल रही प्रणालियों जैसे S‑400 missile system और नए युद्ध-उपकरणों के लिए आगे की बातचीत हुई। ([India Today])
* व्यापार एवं आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है — विशेषकर भारत की रूस के ईव्रेशियन आर्थिक संघ (EAEU) के साथ व्यापार विस्तार। ([The Times of India])
* रूस ने भारतीय उर्वरक कंपनियों के साथ रूस में संयुक्त निवेश का संकल्प लिया — जिससे भारत की उर्वरक सुरक्षा बेहतर होगी। ([Reuters])
* रूस की बैंकिंग प्रणाली (जैसे Sberbank) अब भारत से आयात-वित्तपोषण, रुपये एवं रूबल में लेन-देनों के लिए कदम उठा रही है। ([Reuters])

भविष्य पर क्या असर होगा?

1. रणनीतिक साझेदारी-मजबूती
   यह दौरा भारत-रूस के “विशेष एवं विशेषाधिकारयुक्त रणनीतिक साझेदारी” को पुनः पुष्टि करता है — जो पिछले लगभग 25 वर्षों से चल रही है। ([CNA])
   इससे भारत को वैश्विक समीकरणों में एक अधिक मजबूत और स्वतंत्र कूटनीतिक भूमिका मिलने की संभावना है।

2. रक्षा व प्रौद्योगिकी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर कदम
   रूस-भारत सहयोग गहन हो रहा है, जिससे भारत अपनी रक्षा प्रणालियों में आत्मनिर्भरता बढ़ा सकता है और ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा दे सकता है। इससे दीर्घकालीन रक्षा तैयारियों में सुधार आएगा।

3. वाणिज्य व आर्थिक प्रभाव
   भारत ने रूस से व्यापार घाटा कम करने और अपनी निर्यात-क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। फर्टिलाइज़र, फार्मा, कृषि उत्पाद व मशीनरी जैसे क्षेत्रों में अवसर बनेंगे।
   इसके साथ ही रूस के लिए भारत एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत बना रहेगा, खासकर ऊर्जा एवं उर्वरक के मामले में।
   इससे भारत के किसानों, उद्योगों व निर्यात-उद्यमों को लाभ हो सकता है।

4. वैश्विक भू-राजनीतिक संतुलन में भूमिका
   इस दौरे ने दिखाया कि भारत अपनी विदेश नीति में ‘बहुध्रुवीय’ दृष्टिकोण अपनाए हुए है — यानि न सिर्फ-पश्चिम या-पूर्व के असर में रहना है, बल्कि अपनी स्वायत्त कूटनीति रखना है। इस भूमिका का असर आगामी वर्षों में और स्पष्ट होगा। ([CNA])

5. तकनीकि व मुद्रा सहयोग
   रुपये-रूबल में लेन-देने, भारतीय श्रमिकों को रूस में रोजगार के अवसर और भारतीय कंपनियों को रूस में साझेदारी जैसे कदम ने वित्तीय व तकनीकि सहयोग का नया अध्याय खोलने का संकेत दिया है। ([Reuters])

चुनौतियाँ एवं देखे जाने योग्य बिंदु

* पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों व भारत के रूस के साथ ऊँचे स्तर पर संबंधों को लेकर दबाव बनी हुई है। [The Washington Post]
* भारत-रूस व्यापार में अभी भी निर्यात का अनुपात कम है — भारत रूस से बहुत अधिक आयात करता है। इस असंतुलन को सुधारना लंबी प्रक्रिया होगी। ([The New Indian Express]
* रक्षा भागीदारी में देरी और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर से जुड़ी चुनौतियाँ बनी हुई हैं — समय पर निष्पादन और पारदर्शिता महत्वपूर्ण होंगे।

निष्कर्ष

व्लादिमीर पुतिन का यह भारत दौरा केवल एक औपचारिक मुलाकात नहीं, बल्कि रणनीतिक गहराई वाला कदम है। यह भारत-रूस के बीच रक्षा-व्यापार-ऊर्जा-तकनीक संयुक्त भविष्य की दिशा में एक नया मोड़ साबित हो सकता है। भारत को इस साझेदारी से बहुत अवसर मिलेंगे — लेकिन इसे सफलतापूर्वक लागू करना, चुनौतियों से निपटना और संतुलित कूटनीति बनाए रखना आवश्यक है।

इस यात्रा का असर आगामी वर्ष में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा — भारत की विदेश नीति, रक्षा संरचना और आर्थिक माइक्रो-लैंडस्केप में यह एक निर्णायक मोड़ हो सकता है।

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